मौजूद हो सकते हैं महासागर
अध्ययन के प्रमुख लेखक और नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के डॉ लिने क्विक ने कहा, “हमारे विश्लेषण का अनुमान है कि इन 17 दुनियाओं में बर्फ से ढकी सतह हो सकती है, लेकिन आंतरिक महासागरों को बनाए रखने के लिए अपने मेजबान सितारों से रेडियोधर्मी तत्वों के क्षय और उनके ज्वारीय बलों से पर्याप्त आंतरिक ताप प्राप्त होता है।”उन्होंने यह भी कहा है कि इस आंतरिक ताप से गीजर के समान क्रायोवोल्केनिक विस्फोट भी हो सकता है।
तापमान का लगाया गया पता
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इन एक्सोप्लैनेट के तापमान के बारे में भी जानकारी प्राप्त की है। वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी से संकेत मिलता है कि इन एक्सोप्लैनेट की सतह का तापमान पहले के अनुमान से 60 डिग्री फारेनहाइट (16 डिग्री सेल्सियस) तक कम है। नासा का यह अध्ययन न केवल अलौकिक जीवन की खोज में नए रास्ते खोलता है, बल्कि ब्रह्मांड में जीवन कहां मौजूद हो सकता है, इसकी समझ को भी चुनौती देता है।